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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2785
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'

अथवा
प्रसाद जी छायावादी कवि हैं। छायावाद के सभी लक्षण उनकी कविता में विद्यमान हैं। समीक्षा कीजिए।
अथवा
प्रसाद जी की काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।

उत्तर -

प्रस्तावना - महानतम काव्य-ग्रन्थों के प्रणेता प्रसाद जी से हिन्दी काव्य-जगत को अनेक अमर काव्य-कृतियाँ प्राप्त हुई। उनमें उल्लेखनीय 'प्रेम-पथिक', 'महाराणा का महत्व', 'कानन कुसुम', 'लहर', 'आँसू' और 'कामायनी' हैं। 'आँसू' मुक्तक विरह काव्य की सच्ची अनुभूति की कारुणिक गाथा है। 'कामायनी' महाकाव्य हिन्दी जगत की अमूल्य धरोहर है।

भाव पक्षीय विशेषतायें - प्रसाद के काव्य में भाव पक्षीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) प्रकृति-चित्रण - मानवीय सौन्दर्य के चित्रण के साथ ही साथ प्रसाद प्रकृति - सौन्दर्य के चित्रण में भी कुशल हैं। 'लहर' में सूर्योदय का एक सुन्दर चित्र इस प्रकार है -

अन्तरिक्ष में अभी सो रही है ऊषा मधुबाला।
अरे खुली भी नहीं अभी तो प्राची की मधुशाला।

प्रकृति का मानवीकरण इन पंक्तियों में दृष्टव्य है -

बीती विभावरी जाग री।
अम्बर पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा नागरी।
तू अब तक सोई हैं आली आँखों में भरे विहाग री।

(2) सौन्दर्य निरूपण - सौन्दर्यानुभूति प्रसाद के काव्य की प्रमुख विशेषता है। उनके 'लहर', 'आँसू' और 'कामायनी' आदि काव्य ग्रन्थों में सौन्दर्य के अभिनव चित्र प्राप्त होते हैं। प्रसाद जी मानव- सौन्दर्य के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। कामायनी में मनु और श्रद्धा के सौन्दर्य का वर्णन अनेक स्थानों पर बड़ा ही आकर्षक बन पड़ा है। मनु के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए वे कहते हैं -

उठे स्वस्थ मनु लगे देखने लुब्ध नयन से प्रकृति विभूति मनोहर कान्त।
ज्यों उठता है, क्षितिज बीच अरुणोदय शान्त।

प्रसाद जी ने 'श्रद्धा' के रूप का वर्णन मनु के शब्दों में इस प्रकार किया है

और वह मुख पश्चिम के व्योम, बीच जब घिरते हों घनश्याम।
अरुण रवि मण्डल उनको भेद दिखाई देता हो छवि धाम।

डॉ. गुलाब राय के अनुसार - प्रसाद जी ने सौन्दर्य के भौतिक आकर्षण की अवहेलना नहीं की है। यह एक वैज्ञानिक सत्य है। इसको स्वीकारते हुए भी वे इसे नीचे की ओर नहीं ले गये हैं। इसका स्वर्गीय आनन्द चित्रण करते हुए उन्होंने इसको ऐन्द्रिकता के भार से ऐसा ग्रसित नहीं किया है कि उसकी प्रातः समीकरण की सी परिमलय सुखद स्वच्छता सूक्ष्मता और तरलता में बाधा पड़े। इसका प्रभाव जीवन पर मन्द और मधुर होता है। वह कभी झंझावत और बवण्डर के रूप में नहीं आता है। मधुर व्यंजना से भी काम लिया गया है -

बिछल रही है चाँदनी छवि मतवाली रात,
कहती कम्पित अधर से बहकाने की बात।

प्रसाद जी ने शारीरिक सौन्दर्य का वर्णन बड़े सुन्दर रूप में किया है -

चपला-सी ग्रीवा हंसी से बढ़ी,
रूप जलधि में लोल लहरियाँ उठ रहीं।

प्रसाद जी के प्रेम में विरह की करुणा पर्याप्त मात्रा में है। उसमें उत्कण्ठा की तीव्रता के साथ आशावाद का कोमल माधुर्य है -

कभी चहल कदमी करने को काँटों का कुछ ध्यान न कर।
अपना पावन बाग बना लोगे प्रिय इस मन को आकर।

प्रेम की निश्छलता एवं दृढ़ता देखिए। प्रेम के आगे कोई बाधा नहीं ठहरती -

तुम्हारा शीतल सुख परिरम्भ,
मिलेगा और न मुझे कहीं।
विश्व भर का भी हो व्यवधान,
आज यह बाल बराबर नहीं।

(3) मानवतावादी दृष्टिकोण - प्रसाद ने काव्य में मानवतावादी विचार की विजय दिखाई है। प्रसाद जियो और जीने दो' (Live and Let live) के सिद्धान्त को मानने वाले हैं। उन्होंने लिखा है-

क्यों इतना आतंक ठहर जा, ओ गवले।
जीने दे सबको फिर तू भी सुख से जी ले।

इस उद्देश्य को आज कल के पश्चिमी राष्ट्र अपना सकें, तो मानव समाज का कितना कल्याण हो। डॉ. रामेश्वर दयाल खण्डेलवाल ने 'जयशंकर प्रसाद वस्तु और कला में लिखा है कि प्रसाद जी का चिन्तन हवाई नहीं है, गम्भीर मनन से प्रारम्भ उनके विचारों के सुन्दर चित्रण विराट काल- फलक पर फैली उनकी सुदीर्घ ऐतिहासिक दृष्टि के तट पर बने हुए हैं। अतः वे यथार्थ व व्यवहार्थ हैं। उनका चिन्तन समग्र मानव जीवन मानव की सहज शारीरिक-मानसिक क्षमता और मानव की मूल आदर्श प्रियता- तीनों के सामंजस्य से तैयार हुआ है। फिर इस चिन्तन को उन्होंने अधिकांशतः साहित्य या कला की माँग के अनुसार भव व रस में परिणत कर एक स्वस्थ तृप्तिकार संजीवनी के रूप में प्रस्तुत किया है।

इस विचार का कुछ अंश राष्ट्रीय महत्व का और कुछ सार्वभौमिक व सार्वकालिक महत्व का है। मानव जीवन के सब क्षेत्रों पर समान दृष्टि रखकर मानव सुख के लिए प्रसाद ने जो चिन्तन किया है, वह उनके साहित्य की एक महत्वपूर्ण विभूति है।

(4) छायावाद के अधिष्ठाता - द्विवेदी युग की इति वृतात्मकता की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप जिस छायावादी शैली का जन्म हुआ, उसके प्रवर्तक प्रसाद ही थे। उनकी कविताएँ छायावाद के साँचे में ढली है। 'आँसू' छायावादी काव्य की सुन्दरतम कृति है। छायावाद की प्रथम विशेषता है सौन्दर्य दर्शन। छायावादी कवि सौन्दर्य का प्रेमी होता है। उसे विश्व की प्रत्येक वस्तु में असीम सौन्दर्य के दर्शन होते हैं। 'आँसू' में भी कवि की यह भावना दिख पड़ती है -

तुम सत्य रहे चिर सुन्दर, मेरे इस मिथ्या जग के। 

प्रसाद जी ने प्रिय के सौन्दर्य का चित्रण बड़ी तल्लीनता के साथ किया है।

जैसे-

लावण्य-शैल राई-सा, जिस पर वारी बलिहारी।
उस कमनीयता कला की, सुषमा थी प्यारी-प्यारी।

छायावादी काव्य की दूसरी विशेषता है - श्रृंगारिकता आँसू में इसका अभाव नहीं है। यह श्रृंगार का ही काव्य है। छायावादी काव्य में वेदना की व्यंजना हुआ करती है। 'आँसू' प्रसाद जी का वेदना प्रधान- काव्य है। छायावादी काव्य में आध्यात्मिकता की व्यंजना भी हुआ करती है। ईश्वर की असीम सत्ता में विश्वास करना छायावादी कवि की प्रथम विशेषता है। छायावादी कवि नारी की महत्ता का प्रतिपादन करता है। प्रसाद जी ने कामायनी में श्रद्धा के महत्व की प्रतिष्ठा की है। आँसू में भी उन्होंने नारी के गौरवमय उज्जवल पक्ष को व्यंजित किया है। कवि को प्रेयसी के आलोक से सारा संसार प्रकाशमान लगता है।

(5) नियतिवाद डॉ. द्वारिका प्रसाद सक्सेना के अनुसार - "प्रसाद का यह दृढ़ विश्वास है कि जीव के समस्त कार्यों की गतिविधि का संचालन एक ऐसी नियामिका शक्ति करती है, जो कर्त्तव्य मद से मत्त जीवों की कर्मशक्ति को अपनी अनुचरी बनाकर अपना कार्य कराती हैं, दम्भ एवं अहंकार से पूर्ण जीवों को अपनी क्रीड़ा का कंदुक बनाती है कृत्रिम स्वार्थ सिद्धि में रुकावट उत्पन्न करती है, और जीवों के उत्थान का पतन एवं पतन का उत्थान किया करती है। इस नियमिका शक्ति को 'निर्यात' नाम से अभिहित किया जाता है।"

(6) पुरुषार्थवाद - प्रसाद जी ने नियतिवादी होते हुए भी जीव के भौतिक अभ्युदय एवं आध्यात्मिक विकास के लिए पुरुषार्थ की महत्ता का निरूपण किया है। प्रसाद का स्पष्ट मत है कि जीव अपने पुरुषार्थ से ही महान बनता है। अनेक महान व्यक्ति निंदनीय सामाजिकता की भूमि पर उत्पन्न होकर भी पुरुषार्थ के बल पर ही दैवी भाग्य विधान एवं रूढ़ियों को बदलने में समर्थ हुए हैं। पुरुषार्थ से ही जीव अपने कलंक को मिटा सकता है, पाप को पुण्य में बदल सकता है तथा आनन्द का सर्वत्र प्रसार कर सकता है, क्योंकि पुरुषार्थी के सामने से सम्पूर्ण विघ्न दूर हो जाते हैं, जीव का आलस्य एवं उसकी अकर्मण्यता नष्ट हो जाती है और वह निर्भयतापूर्वक कर्म करता है।

(7) नारी की महत्ता - प्रसाद से पूर्व रीति काल में नारी के प्रति हीन और संकुचित दृष्टिकोण था। प्रसाद जी ने अपने काव्य में नारी को महत्ता प्रदान की और उसे श्रद्धा की साक्षात् प्रतिमा कहा। प्रसाद के अमर महाकाव्य 'कामायनी की नायिका 'श्रद्धा' भी इसी कोटि की नारी है। श्रद्धा अगाध विश्वास, त्याग, सौन्दर्य एवं विश्वबन्धुत्व की मूर्तिमान प्रतीक है। वास्तव में 'श्रद्धा' के रूप में प्रसाद ने अपने नारी विषयक दृष्टिकोण को विशद रूप में अंकित किया है -

नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में।
पीयूष स्रोत-सी बहा करो, जीवन के सुन्दर समतल में।

(8) नारी का अमांसल सौन्दर्य वर्णन - कामायनी में श्रद्धा को देखकर मनु के मन में जो प्रतिक्रिया हुई, वह शारीरिक उपभोग की इतनी नहीं, जितनी उसके दर्शन से उत्पन्न मानसिक कौतूहल तथा तृप्ति से समन्वित थी। इसमें सौन्दर्य के प्रति शारीरिक उपभोग का भाव न होकर मानसिक परितोष का भाव ही अधिक है। प्रसाद जी के श्रृंगार और प्रेम के चित्र लौकिकता की पवित्र भूमि से दूर दिव्यता की पावनता से युक्त होते हैं।

(6) रहस्यवादी भावना - प्रसाद जी के काव्य में रहस्यवाद की सफल अनुभूति के दर्शन होते हैं। प्रसाद जी का ईश्वरोन्मुख प्रेम प्रकृति के प्रेम के साथ मिलकर रहस्यवाद का रूप धारण कर लेता है। परमात्मा की सत्ता उनकी प्रकृति के मनोरम दृश्यों में मिलती है, कहीं तो कौतूहल जागृत कर एक खोज का विषय मात्र रह जाता है और कहीं उसमें उनके प्रियतम पहचाने से, किन्तु कुछ लुके-छिपे से दिखाई पड़ते हैं। जैसे-

तृण वीरुध लहलहे हो रहे, किसके रस में सिंचे हुए।
सिर नीचा कर किसकी सत्ता, करते हैं स्वीकार यहाँ।
सदा मौन हो प्रवचन करते, जिसका वह अस्तित्व यहाँ?
हे अनन्त रमणीय ! कौन तुम, यह मैं कैसे कह सकता?

(10) रस योजना - प्रसाद जी की रचनाओं में रस- परिपाक का गौण स्थान है। भावों तथा कल्पनाओं के बुद्धिगम्य न होने के कारण रस-परिपाक में बाधा पड़ी है। फिर भी रस-परिपाक की दृष्टि से प्रसाद के काव्य में श्रृंगार शान्त तथा करुण रस की प्रधानता है।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने प्रसाद जी पर आक्षेप करते हुए आँसू के विषय में लिखा है- "कहने का तात्पर्य यह है कि वेदना की कोई एक निर्दिष्ट भूमि न होने से सारी पुस्तक (आँसू) का कोई एक समन्वित प्रभाव निष्पन्न नहीं होता। इस विषय में ध्यान देने की बात यह है कि आँसू एक स्मृति काव्य है। कवि प्रसाद ने इसमें अपने अतीत जीवन की स्मृतियों की एक दर्द भरी अभिव्यक्ति की है। इस आधार पर आँसू की भाव-भूमि को स्थायी नहीं, विकासशील कहा जा सकता है। आँसू में कवि प्रसाद को अतीत के साथ वर्तमान भी संयुक्त है। यही कारण है कि कवि आँसू के अन्त तक आते-आते निराशा और अवसाद से ऊपर उठकर अपनी वेदना को करुणा अर्थात् विश्व-प्रेम के रूप में परिवर्तित कर देता है। इसका कारण काव्य का निराशावादी न होना है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रसाद ने अपनी कविताओं में छायावादी काव्य के सभी तत्वों का समावेश किया है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
  2. प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
  3. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
  5. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
  6. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  9. अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
  10. प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  11. प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
  14. प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  16. अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
  17. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  18. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  19. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
  21. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
  22. अध्याय - 4 भूषण
  23. प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
  24. प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
  25. प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
  26. प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
  27. प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
  28. अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  29. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  31. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  33. प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
  34. अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  35. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
  38. प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
  40. प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
  41. अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
  42. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
  43. प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
  46. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
  48. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
  50. अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
  51. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
  52. प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
  53. प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
  54. प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
  55. प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
  56. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  57. प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
  58. अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  59. प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
  62. प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  63. प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  66. प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
  68. प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
  69. अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
  70. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  71. प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  72. प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
  73. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
  74. प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
  75. प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
  76. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
  77. अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
  78. प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
  80. प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
  81. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
  82. अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
  83. प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  84. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  86. प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
  87. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  88. अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
  89. प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
  90. प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
  91. प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
  92. प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
  93. प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
  95. प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  96. प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
  97. अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
  98. प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
  100. प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
  101. प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
  102. अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
  103. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
  105. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
  106. प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
  108. प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  109. प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  110. प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
  111. अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
  112. प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
  114. प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  116. अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
  117. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
  120. प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
  121. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
  122. प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
  123. अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
  124. प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  125. प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
  127. प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
  130. अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
  131. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  132. प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
  135. प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
  136. अध्याय - 21 कवि प्रदीप
  137. प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  138. प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
  139. प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
  140. प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
  141. प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
  142. प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
  143. अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
  144. प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
  145. प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
  146. प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
  147. अध्याय - 23 प्रेम धवन
  148. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  149. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
  151. प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
  152. अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
  153. प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  154. प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
  155. प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  156. प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
  157. अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
  158. प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  159. प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
  160. अध्याय - 26 गुलशन बावरा
  161. प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
  163. अध्याय - 27 इन्दीवर
  164. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
  166. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
  167. अध्याय - 28 प्रसून जोशी
  168. प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  169. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
  170. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?

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